The Greatest Guide To malkin ki malish

इसके बाद अपनी उंगुलियों के पोरों को बच्चे की पीठ के ऊपरी हिस्से में रखें और हल्के दबाव के साथ धीरे-धीरे गोल घुमाते हुए पीठ के निचले हिस्से तक मालिश करें।

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मालिश करते समय नाभि पर दबाव न बनाएं। जन्म के कुछ दिनों बाद ही बच्चे की नाभि अपनी सही स्थिति में आती है, more info ऐसे में बच्चे की नाभि बेहद ही संवेदनशील होती। (और पढ़ें - बच्चों की नाभि की देखभाल का वीडियो)

हाथों पर मसाज करने के लिए उनके हाथ को अपने हाथ में लें और उनकी हथेली को अपने अंगूठे से गोल घुमाते हुए मसाज करें। फिर एक एक अंगुली को लेकर अंदर की तरफ घुमाए और पोर से नाखून तक स्लाइड करें। हर अंगुली को धीरे से खींचे लेकिन इतना तेज न खींचे की वो टूट जाए।

वैसे तो बहुत तरीकों के तेल आते हैं, हर तेल का अपना एक अलग फायदा होता है, लेकिन लिंग की मालिश किसी भी पुरुष के लिए बहुत जरूरी है।

फिर जिसकी मसाज कर रहें हैं उसका हाथ वापस पलंग पर रख दें। अपनी अंगुली और अंगूठे का उपयोग करके बाजू और हाथ के ऊपर की तरफ आराम से जैसे आटा गुथने के समय करते है वैसे मसाज करें।

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आपके हाथ के पास बहुत सारे तौलिये होने चाहिए: यह सुनिश्चित करें की आपके हाथ के पास नए, साफ तौलिये होने चाहिए, ताकि मसाज करते समय उन्हें उपयोग कर सकें। पहले तो आप जिस जगह पर मसाज कर रहें है उसे तौलिये से ढकें ताकि उस पर तेल (जिससे दाग लग सकता है) न लगे।

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उसके बाद आपको आलिव ऑइल को एक स्टील के बर्तन में तेज़ गर्म कर लेना है।

यदि तेल बच्चे के मुंह में ग़लती से चला जाए, तो गले में जलन और उल्टी हो सकती है।

मां बनने के बाद कई महिलाएं अपने बच्चे की मसाज करना चाहती हैं, लेकिन मसाज का सही तरीका मालूम न होने के कारण महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आपकी इसी परेशानी को देखते हुए, इस लेख में नवजात शिशु की मालिश के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही आपको नवजात शिशु की मालिश क्या है, नवजात शिशु की मालिश कब शुरू करें और कितनी बार करें, नवजात शिशु की मालिश के फायदे, नवजात शिशु की मसाज करने का सही समय, शिशु की मालिश कैसे करें, बच्चे की मालिश के लिए टिप्स व नवजात शिशु की मालिश कब तक करनी चाहिए, आदि बातों के बारे में भी बताया जा रहा है।

शिशु के जन्‍म के कुछ हफ्तों बाद आप मालिश करना शुरू कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको बच्‍चे के मूड का भी खास ख्‍याल रखना है। मसाज के समय पर शिशु शांत और सचेत होना चाहिए। मालिश करने का तरीका ऐसा न अपनाएं जो बच्‍चे को सहज महसूस करवाए।

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